किसी भी मोड़ पर अगर हम बुरे लगें
तो ज़माने को बताने से पहले एक बार हमें जरुर बता देना
नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही,
इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही।
नजरों में दोस्तों की जो इतना खराब है,
उसका कसूर ये है कि वो कामयाब है।
पांवों के लड़खड़ाने पे तो सबकी है नज़र,
सर पे कितना बोझ है कोई देखता नहीं।
गिरना था जो आपको तो सौ मक़ाम थे,
ये क्या किया कि निगाहों से गिर गए
जिन जख्मो से खून नहीं निकलता समझ लेना
वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है।
इस शहर के अंदाज अजब देखे है यारों !
गुंगो से कहा जाता है, बहरों को पुकारो !!
इतना कहाँ मशरूफ हो गए हो तुम,
आजकल दिल दुखाने भी नहीं आते।
हमें पता है तुम कहीं और के मुसाफिर हो !
हमारा शहर तो.. बस यूँ ही. रास्ते में आया था !!